+91 8005792734
Contact Us
Contact Us
amita2903.aa@gmail.com
Support Email
Jhunjhunu, Rajasthan
Address
Description
श्रीमद्भगवद्गीता(अध्याय -1)
अर्जुनविषादयोग दोनों सेनाओंके प्रधान-प्रधान शूरवीरों और अन्य महान् वीरोंका वर्णन और सामर्थ्यका कथन ****************************
धृतराष्ट्र उवाच धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय॥१॥
भावार्थ: धृतराष्ट्र बोले—हे संजय! धर्मभूमि कुरुक्षेत्रमें एकत्रित, युद्धकी इच्छावाले मेरे और पाण्डुके पुत्रोंने क्या किया?॥1॥
सञ्जय उवाच
दृष्टवा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा।
आचार्यमुपसङ्गम्य राजा वचनमब्रवीत्॥२॥
भावार्थ : संजय बोले—उस समय राजा दुर्योधनने व्यूहरचनायुक्त पाण्डवोंकी सेनाको देखकर और द्रोणाचार्यके पास जाकर यह वचन कहा॥2॥
पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम्।
व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता