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श्रीमद्भगवद्गीता एक पवित्र ग्रंथ है, जिसमें भगवान् श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेशों का संग्रह है। गीता में भगवान कृष्ण और अर्जुन के बीच हुए संवाद का वर्णन है, जो कुरुक्षेत्र में युद्ध की शुरुआत में हुआ था। इसमें 18 अध्याय और 700 श्लोक है। यह हमें कर्म योग का संदेश देती है। इसमें कहा गया है कि हमें अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए और फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। यह मोक्ष या आत्म-ज्ञान की प्राप्ति का मार्ग बताती है। जो व्यक्ति नियमित रूप से भगवद्गीता का पाठ करता है उसका मन हमेशा शांत रहता है। विपरीत परिस्थतियों में भी वह अपने मन को काबू करने की क्षमता रखता है। भगवद्गीता का मुख्य लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति है, जिसके लिए कर्मयोग, भक्तियोग और ज्ञानयोग के माध्यम से परमात्मा को जानना, आत्म-नियंत्रण पाना और निष्काम भाव से कर्म करना सिखाया जाता है, ताकि व्यक्ति आन्तरिक शांति और आनंद की अवस्था प्राप्त कर सके।