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रानी सती मंगल एक भजन या प्रार्थना है जो रानी सती दादीजी के प्रति भक्ति व्यक्त करने के लिए गाई जाती है। यह उनके जीवन की कहानी, उनके त्याग, और उनकी भक्ति को स्मरण करने के लिए किया जाता है। मंगलपाठ में भक्तों द्वारा देवी के प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है और उनके आशीर्वाद की कामना की जाती है। यह पाठ और भजन भक्तों के बीच रानी सती दादी के प्रति गहरी आस्था को दर्शाते है।
॥आशीर्वाद॥
गोरेगाँव में दरश दिया, खुद दादी ने आय।
हाथ फिराया शीश पर, माला दी पहराय॥
जब चरणों में गिर पड़ा, होकर प्रेम विभोर।
हो प्रसन्न बोली तभी, सतियों में सिर मोर॥
आज्ञा मेरी मानकर, तूं लिख चरित बनाय।
नारायणी मानस चरित, सुंदर नाम बताय॥
कवि नहीं लेखक नहीं, कविता लिखनी न आय।
चरित आपका रच सकूँ, बैठो रसना मांय॥
विनती मेरी मानकर, वास कियो मन मांय।
दादी की किरपा हुई, दिया चरित्त बनाय॥
नारायणी मानस चरित, पढ़े जो चित्त लगाय।
शुभफल पाये भक्तजन, मंगल मोद बढ़ाय॥
ब्याह शादी और शुभकर्म, माता सारे आय।
भव बंधन काटे सभी, 'रमाकांत' जस गाय